नई दिल्ली। अभिनेता श्रेयस तलपड़े भले ही फिल्मों में काम रहे हों, लेकिन उनका थियेटर प्रेम बरकरार है। वह जी थियेटर के टेलीप्ले 'टाइपकास्ट' से स्टेज पर दोबारा लौटे हैं। उनका कहना है कि इस प्ले को एक स्टूडियो के भीतर फिल्म की तरह शूट किया गया था। नाटक में श्रेयस महिपत बाबरुवाहन की भूमिका निभाई है, जो अपनी बिरादरी और गांव में मास्टर डिग्री पूरा करने वाला पहला व्यक्ति होता है।
थियेटर से जुड़ी यादों को साझा करते हुए श्रेयस कहते हैं, 'मैंने पहला नाटक स्कूल में किया था। रामायण में सीता की भूमिका निभाई थी। फिर स्कूल के दूसरे नाटक महाभारत में द्रौपदी की भूमिका निभाई थी। वर्ष 1990 से वर्ष 2005 तक प्रोफेशनल स्टेज पर 2500 से अधिक शो किए। मैं आज जो कुछ भी हूं, थियेटर की वजह से हूं। थियेटर कलाकार को निखारता है। फिल्मों में जो भी तारीफ मिलती है, वह सब थियेटर की वजह से है।'
वहीं, तलपड़े का मानना है कि एक इंसान हंसी-मजाक व कॉमेडी के माध्यम से काफी कुछ बयां कर सकता है और कुछ ऐसा ही वह अपनी परियोजनाओं संग करने की ख्वाहिश रखते हैं। उन्होंने कहा, 'मुझे व्यक्तिगत तौर पर टेली प्ले का यह प्रारूप बेहद पसंद आया और इसी के चलते मैंने टाइपकास्ट को करने के लिए हांमी भरी। मेरे ख्याल से टेली प्ले एक बेहतरीन एक्सपेरीमेंट है, जिसमें हम कहावती चौथी दीवार से छुटकारा पाते हैं। यह लगभग किसी बंद स्टूडियो में फिल्म की शूटिंग करने जैसा रहा। यह चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन मुझे लगता है कि इन प्रारूपों पर और भी अधिक काम किया जाना चाहिए।'
बता दें कि 'टाइपकास्ट' मराठी नाटक 'पाहिजे जातीचे' का रूपांतरण है, जो सत्तर के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह जाति व्यवस्था के मुद्दे पर प्रकाश डालती है। शो में दिखाया गया है कि वर्तमान भारत में भी किस तरह से इसकी कहानी प्रासंगिक है।